बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष संशोधन को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया तय समय पर और पूरी पारदर्शिता के साथ पूरी की जाएगी। दिल्ली में बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन (एसआईआर) तय कार्यक्रम के अनुसार चल रहा है। इसमें चुनाव कर्मियों और राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी है। कुछ लोगों की आशंकाओं के बावजूद यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि सभी योग्य मतदाताओं को जोड़ा जाए।’
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विपक्षी दलों की आपत्ति
कांग्रेस, राजद (आरजेडी), सीपीआई (सीपाई) और अन्य विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया की नियत नहीं, बल्कि समय-सीमा पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चुनाव में अब केवल तीन से चार महीने बचे हैं, और इतनी कम अवधि में मतदाता सूची में सुधार करना चुनौतीपूर्ण होगा। इससे अंतिम सूची की सटीकता और समावेशिता प्रभावित हो सकती है।
विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया सिर्फ सूची सुधार या नए मतदाताओं के नाम जोड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके लिए घर-घर जाकर जांच, गलतियों को सुधारना और नए नाम जोड़ना जरूरी है। इतने कम समय में यह काम ठीक से नहीं हो पाएगा, जिससे या तो कई योग्य मतदाता छूट सकते हैं या फिर गलतियां हो सकती हैं।
चुनाव आयोग का जवाब
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और संरचित है, और बीएलओ को मतदाता सत्यापन और नाम जोड़ने की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। चुनाव आयोग का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक योग्य मतदाताओं का नाम सूची में शामिल किया जाए, ताकि कोई भी पात्र नागरिक मतदान से वंचित न हो। चुनाव आयोग का मानना है कि यह विशेष संशोधन प्रक्रिया बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची को अधिक सटीक और अद्यतन बनाएगी।
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फिर भी विपक्ष संतुष्ट नहीं
विपक्षी दलों का कहना है कि जब अक्तूबर-नवंबर में ही चुनाव संभावित हैं, तो इस समय इतने बड़े स्तर पर संशोधन कराना व्यवस्था पर बहुत बोझ डाल सकता है। इससे न तो पारदर्शिता सुनिश्चित हो पाएगी और न ही सभी योग्य मतदाता सूची में शामिल हो पाएंगे।
